हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

俳句 : हाइकु - प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

                             

                               हाइकु : प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


                                                            मन पर हाइकु


01.
महका मन
हाइकु की सुगंध
बाँचे पवन ।

02.
मन फकीर
चित्रोत्पला के तीर
रे ! क्यों अधीर ?

03.
प्रथम वर्षा
सौंधी महकी धरा
मन हर्षाया ।

04.
बूँदें बरसीं
तन व मन गीले
प्रीत जगातीं ।

05.
मन गुलाब
झुलसाती धूप ने
जलाए ख्वाब ।

06.
मन रावण
वासना की कुटिया
सिया हरण ।

07.
मन बहके
फूटी स्वप्न कलियाँ
टेसू महके ।

08.
मन उल्लास
बौराया है फागुन
गा उठा फाग ।

09.
प्रेम का रंग
लग हर्षाया तन
फगवा मन ।

10.
होली के रंग
प्रेम से पगे मन
होली उमंग ।

11.
तेरी छुवन
मन बगर गया
मानो बसंत ।

12.
पंछी का मन
कँपकँपाता हिम
स्तब्ध जीवन ।

13.
मन की धुन
बचपन की बात
ले डाली सुन ।

14.
मीरा का मन
अनुराग से पगा
कनु का संग ।

15.
 पूष की रात
हल्कू जाएगा खेत
मन उदास ।

16.
होरी का मन
गोबर औ धनिया
रहें प्रसन्न ।

17.
गेहूँ की बालि
झूमती गीत गाती
मन हर्षाती ।

18.
फुली सरषों
पियराने लगे हैं
मन के खेत ।

19.
दीप जलते
रोशन कर जाते
मन हमारे ।

20.
घना अंधेरा
दीप जलता रहा
मन अकेला ।

21.
पत्ते झरते
ईश्वर की शरण में
मन रमाते ।

22.
माटी का तन
तप कर निखरा
कंचन मन ।

23.
घर थे कच्चे
तब की बात और
मन थे सच्चे ।

24.
मन के भेद
मिटाएँ तो मिटेंगे
मत के भेद ।

25.
मयारु मन
लोक गीत चंदन
माटी वंदन ।

26.
बाँसों के वन
रिलो में झूम उठे
लोगों के मन ।

27.
मन क्या जुड़े
जुड़ गये दिल भी
हृदय जुड़े ।

28.
घुँगरु बना
नाचता रहा मन
छन.. छनाया ।

29.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद प्रकृति ।

30.
धूप को धुने
मन मानो बादल
गुन गुनाए ।

31.
काँच सा मन
ह.ह. तोड़ ही दिया
धूप निर्मम ।

32.
तनहा मन
प्रकृति की गोद में
हुआ सानंद ।

33.
टूटी पत्तियाँ
कैसे संभले मन
रूठी डालियाँ ।

34.
मन व्यथित
भाव निर्झर हुए
निकली पीर ।

35.
भव सरिता
मन बना नाविक
खे रहा नाव ।

36.
मन का मृग
ईश्वर की तलाश
कस्तूरी चाँद ।


37.
बिखरे पात
मन में रह गयी
मन की बात ।

38.
मन गागर
उमड़ी भावनाएँ
समा सागर ।

■ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय भाई जी
    अभिवादन
    बेहतरीन हाईकू....
    मन गागर
    उमड़ी भावनाएँ
    समा सागर ।....
    फॉलोव्हर का गेजेट लगाइए
    ताकि हम आपके ब्लॉग को फॉलो कर सकें
    आदर सहित

    जवाब देंहटाएं

MOST POPULAR POST IN MONTH