हाइकु : प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
मन पर हाइकु
01.
महका मन
हाइकु की सुगंध
बाँचे पवन ।
02.
मन फकीर
चित्रोत्पला के तीर
रे ! क्यों अधीर ?
03.
प्रथम वर्षा
सौंधी महकी धरा
मन हर्षाया ।
04.
बूँदें बरसीं
तन व मन गीले
प्रीत जगातीं ।
05.
मन गुलाब
झुलसाती धूप ने
जलाए ख्वाब ।
06.
मन रावण
वासना की कुटिया
सिया हरण ।
07.
मन बहके
फूटी स्वप्न कलियाँ
टेसू महके ।
08.
मन उल्लास
बौराया है फागुन
गा उठा फाग ।
09.
प्रेम का रंग
लग हर्षाया तन
फगवा मन ।
10.
होली के रंग
प्रेम से पगे मन
होली उमंग ।
11.
तेरी छुवन
मन बगर गया
मानो बसंत ।
12.
पंछी का मन
कँपकँपाता हिम
स्तब्ध जीवन ।
13.
मन की धुन
बचपन की बात
ले डाली सुन ।
14.
मीरा का मन
अनुराग से पगा
कनु का संग ।
15.
पूष की रात
हल्कू जाएगा खेत
मन उदास ।
16.
होरी का मन
गोबर औ धनिया
रहें प्रसन्न ।
17.
गेहूँ की बालि
झूमती गीत गाती
मन हर्षाती ।
18.
फुली सरषों
पियराने लगे हैं
मन के खेत ।
19.
दीप जलते
रोशन कर जाते
मन हमारे ।
20.
घना अंधेरा
दीप जलता रहा
मन अकेला ।
21.
पत्ते झरते
ईश्वर की शरण में
मन रमाते ।
22.
माटी का तन
तप कर निखरा
कंचन मन ।
23.
घर थे कच्चे
तब की बात और
मन थे सच्चे ।
24.
मन के भेद
मिटाएँ तो मिटेंगे
मत के भेद ।
25.
मयारु मन
लोक गीत चंदन
माटी वंदन ।
26.
बाँसों के वन
रिलो में झूम उठे
लोगों के मन ।
27.
मन क्या जुड़े
जुड़ गये दिल भी
हृदय जुड़े ।
28.
घुँगरु बना
नाचता रहा मन
छन.. छनाया ।
29.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद प्रकृति ।
30.
धूप को धुने
मन मानो बादल
गुन गुनाए ।
31.
काँच सा मन
ह.ह. तोड़ ही दिया
धूप निर्मम ।
32.
तनहा मन
प्रकृति की गोद में
हुआ सानंद ।
33.
टूटी पत्तियाँ
कैसे संभले मन
रूठी डालियाँ ।
34.
मन व्यथित
भाव निर्झर हुए
निकली पीर ।
35.
भव सरिता
मन बना नाविक
खे रहा नाव ।
36.
मन का मृग
ईश्वर की तलाश
कस्तूरी चाँद ।
37.
बिखरे पात
मन में रह गयी
मन की बात ।
38.
मन गागर
उमड़ी भावनाएँ
समा सागर ।
आदरणीय भाई जी
जवाब देंहटाएंअभिवादन
बेहतरीन हाईकू....
मन गागर
उमड़ी भावनाएँ
समा सागर ।....
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