हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

短歌 : ताँका

प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

                                                        चौदह ताँका चाँद पर


01.
शरद रात
मध्य रात्रि का चाँद
हो पुलकित
दे गया पूनो को वो
पीयूष की सौगात ।
---0---

02.
रात पूनम
शरद की चाँदनी
धरा पे बिछी
कोर स्नेह गगन
आज चाँद मगन ।
---0---

03.
शरद रात
आज पूनो का चाँद
प्रेम पीयूष
खूब बरसायेगा
लिए कोमल याद ।
---0---

04.
कुनमुनाता
चल पड़ा अकेला
चाँद तनहा
झील की पगडण्डी
मुस्करा रही आज ।
---0---

05.
नभ हैरान
चहुँ ओर बादल
घने हैं छाये
पर दिखता नहीं
आज उसका चाँद ।
---0---

06.
सिसका चाँद
टपक पड़े अश्रु
दूबके ओस
मोतियाँ सुना रहीं
नेह पीर वृतांत ।
---0---

07.
नेह गगन
पीयूष बरसाने
चाँद मगन
सीपी को मिली मोती
जीवन हुआ धन्य ।
---0---

08.
सिसक पड़ी
दूबों पर चाँदनी
चमक उठी
चाँद रोया रात को
भोर ओस पी गयी ।
---0---

09.
पूनो की रात
नभ से लाया चन्द्र
सुधा सौगात
चन्द्रिका सुना रही
प्रियतम की बात ।
---0---

10.
चाँद से प्रीत
गुनगुनाती रही
चाँदनी गीत
मिलन की थी खुशी
ओस थाम ली पत्ती ।
---0---

11.
विहँसा चाँद
खिल गयी चाँदनी
महकी रात
चमकाने में लगी
काला चेहरा आज ।
---0---

12.
चाँद पे बैठी
चरखा चला रही
बुढ़िया दादी
बहु की लोरियों में
मीठी नींद बुनती ।


13.
चाँद व तारे
घूमें मौज मनाएँ
परी के वेश
गीत गाएँ खुशी से
झूमें झील प्रदेश ।
---0---

14.
चाँद जो रोया
टप. टपका अश्रु
नभ से ओस
पत्तियों ने ली थाम
कोहरा मुस्कराया ।
---0---

                                  - प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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