हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018

HINDI HAIKU & PUNJABI TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं पंजाबी अनुवाद
  ✍प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


मूल हिन्दी हाइकु
---------------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
 बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
 बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
 पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16.
शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
 मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

पंजाबी अनुवाद :-----
अनुवादक :
जसदीप मोहन जी

01)
ਸੰਸਾਰ ਮੌਨ
ਗੂੰਗੇ ਦਾ ਵਿਆਕਰਣ
ਪੜੇਗਾ ਕੌਣ
------
02)
ਵਗ ਜਾਣ ਦੇ
ਇਹ ਹੰਝੂ ਹੀ ਧੋੰਦੇ ਨੇ
ਮਨ ਦੇ ਮੈਲ
------
03)
ਮੌਨ ਇੱਕ ਕ੍ਰਾੰਤੀ
ਆਵਾਜ਼ ਦੇ ਖਿਲ਼ਾਫ਼
ਇੱਕ ਆਵਾਜ਼
-------
04)
ਆਓ ਤੋੜੀਏ
ਰੂੜੀਆੰ ਦਾ ਅਕਾਸ਼
ਫੈਲਦਾ ਜਾੰਦਾ
-----
05)
ਲਾੜਾ ਬਣ ਬੈਠਾ
ਤੇ ਯਾਦਾੰ ਮੇਰੀਆੰ
ਬਣੀਆੰ ਲਾੜੀ
-----
06)
ਵਰਸੇ ਮੋਤੀ
ਹੱਸਦਾ ਹੈ ਬੱਦਲ
ਸਾਵਣ ਆਇਆ
-----
07)
ਦੱਸੋ ਖਾੰ
ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਹਾੰ ਸ਼ਾੰਤੀ
ਕਿੱਥੋੰ ਮਿਲੂ
-------
08)
ਪੀੜ ਮੇਰੀ
ਤੇਰੇ ਵੱਸ ਦੀ ਨਹੀੰ
ਇਹ ਹੈ ਅਪਾਰ
-------
09)
ਸੰਜਮ ਛੰਦ
ਮਹਿਕੇ ਜਿਉੰ ਸੰਬੰਧ
ਹੋਕੇ ਮਸਤਾਨਾ
-------
10)
ਗਿਆਨ ਦਾ ਸੂਰਜ
ਅਗਿਆਨ ਦਾ ਹਨੇਰਾ
ਦੂਰ ਕਰੇ
-------
11)
ਧੁੱਪ ਦੀ ਥਾਲੀ
ਬੱਦਲ ਪ੍ਰਾਹੁਣਾ
ਸੂਰਜ ਰੋਟੀ
------
12)
ਸੱਚਾਈ ਜਿੱਥੇ
ਰੱਬ ਰਹੇ ਉੱਥੇ
ਲੱਭਦਾ ਕਿੱਥੇ?
------
13)
ਆਦਮੀ -ਵਾਕ
ਮਨ ਇੱਕ ਹਾਈਕੂ
ਛੰਦ-ਸੁਭਾਅ
-------
14)
ਕੰਡੇ ਤਾੰ ਨਹੀੰ
ਚੁੱਭਣ ਲੱਗੇ ਹੁਣ
ਕੋਮਲ ਫੁੱਲ
-----
15)
ਛੱਡ ਸ਼ੀਸ਼ਾ
ਜੀਵਨੀ ਆਪਣੀ
ਫੇਰ ਲਿਖੀੰ
-------
16)
ਅਟੱਲ ਸੱਚਾਈ
ਸਿੱਕੇ ਦੇ ਦੋ ਪਹਿਲੂ
ਜੀਵਨ ਤੇ ਮਰਨ
------
17)
ਸੱਟ ਲੱਗੀ ਏ
ਸੱਚੀੰ ਅੰਦਰੋ
ਉੱਠਦੀ ਦਰਦ
-------
18)
ਭੁੱਖ ਨਾਲ ਲੜਿਆ
ਤਾਕਤਵਰ ਵੀ
ਓਹੀ ਖੜਿਆ
-------
19)
ਪ੍ਰਬੰਧ ਸੱਚਾ
ਹਿਰਦਾ ਢਲ ਨਾ ਸਕਿਆ
ਟੁੱਟਣ ਕਿਨਾਰੇ
-----
20)
ਮੀਲਾੰ-ਬੱਧੀ ਫੈਲਿਆ
ਰੂੜੀਆੰ ਦਾ ਅਕਾਸ਼
ਕਿਵੇੰ ਤੋੜੀਏ
-----
21)
ਮਨ ਘੁਟਦਾ
ਦੇਖਕੇ ਅਸ਼ਾਤ ਦੇਸ਼
ਮਨ ਟੁੱਟਦਾ
------
22)
ਅਤੀਤ ਹੱਸਿਆ
ਰਵਾਉੰਦਾ ਵਰਤਮਾਨ
ਭਵਿੱਖਤ ਨੂੰ
-------
23)
ਉੱਡਦੀ ਹਾਅ
ਆਸਾੰ ਦੀ ਧੂੜ
ਸਾੜਦੀ ਹਿਰਦਾ
-------
24)
ਦੂਰਦ਼ਸ਼ਾ
ਮਨੁੱਖਤਾ ਦੀ ਪਿੱਠ
ਛੱਲਣੀ ਹੋਈ
--------
25)
ਹੰਝੂ ਛਲਕੇ
ਹੱਸੇ, ਫਿਰ ਦਰਦਾੰ ਦੇ
ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ
-------
26)
ਮੁਸਕਾਨ ਰੋਵੇ
ਠੱਠਾ ਕਰ ਰਹੇ
ਹੰਝੂ ਮੇਰੇ ਵੱਲ
-------
27)
ਕਾਲ ਯੰਤਰ ਵਿੱਚ
ਮਾਨਵਤਾ ਪੀੜਦੀ
ਗੰਨੇ ਦੇ ਵਾੰਗਰਾੰ
----------

देवनागरी लिप्यंतरण : ------

01)
संसार मौन
गूंगे दा विआकरण
पड़ेगा कौण ?
--------
02)
वग जाण दे
ऐह हंझू ही धोंदे ने
मन दे मैल
---------
03)
मौन इक क्रान्ति
आवाज़ दे खिलाफ
इक आवाज़
---------
04)
आओ तोड़िए
रूड़ियां दा अकाश
फैलदा जांदा
--------
05)
लाड़ा बण बैठा
ते यादां मेरिआं
बणीआं लाड़ी
---------
06)
बरसे मोती
हस्सदा है बद्दल
सावण आया
--------
07)
दस्सो खां
लभ्भ रेहा हां शान्ति
कित्थों मिलू ?
---------
08)
पीड़ मेरी
तेरे वस्स दी नहीं
ऐह है अपार
---------
09)
संजम छन्द
महके ज्यों सम्बन्ध
होके मसताना
----------
10)
ज्ञान दा सूरज
अज्ञान दा हनेरा
दूर करे
---------
11)
धुप्प दी थाली
बद्दल पराहुणा
सूरज रोटी
--------
12)
सच्चाई जित्थे
रब्ब रहे उत्थे
लभ्भदा कित्थे
----------
13)
आदमी-वाक
मन इक हाईकू
छन्द सुभाअ
-----------
14)
कण्डे ता नहीं
चुभ्भण लग्गे हुण
कोमल फुल्ल
---------
15)
छड्ड शीशा
जीवनी आपणी
फेर लिखीं
---------
16)
अट्टल सच्चाई
सिक्के दे दो पैहलू
जीवन ते मरन
----------
17)
सट्ट लग्गी ऐ
सच्चीं अन्दरों
उट्ठदी दरद
-----------
18)
भुक्ख नाल लड़ेया
ताकतवर भी
ओही खड़ेया
----------
19)
प्रबन्ध सच्चा
हिरदा ढल ना सकेआ
टुट्टण किनारे
-------------
20)
मीलां बध्धी फैलेया
रूड़ियां दा अकाश
किवें तोड़िऐ
------------
21)
मन घुटदा
देखके अशाँत देश
मन टुटदा
-------------
22)
अतीत हस्सेया
रवाउंदा वरतमान
भविक्खत नूँ
------------
23)
उडदी हाअ
आसां दी धूड़
साड़दी हिरदा
-------------
24)
दुरदशा
मनुक्खता दी पिट्ठ
छल्लणी होई
------------    
25)
हँझू छलके
हस्से, फिर दरदां दे
गीत सुणाए
---------  
26)  
मुसकान रोवे
ठट्ठा कर रहे
हँझू मेरे वल्ल
-------------
27)
काल यंतर विच्च
मानवता पीड़दी
गन्ने दे वांगरां ।
-----●●●-----

अनुवादक : जसदीप मोहन जी    
पिता का नाम : श्री राम सरन मोहन
जन्म : 03.04.1971
शिक्षा : -------
     एम.ए.(हिन्दी,पंजाबी,राजनीति शास्त्र) एम.एड.,एम.फिल.,पी-एच.डी.(हिन्दी)
प्रकाशित कृतियाँ : -------
कविता साधना
लेख साधना
शेख़ फरीद-एक पुन:पाठ
मेरी अविस्मरणीय यादें (अनूदित)
व्यवसाय : ------
         कार्यकारी प्रिंसीपल
लायलपुर खालसा सीनियर सैकण्डरी स्कूल
जालन्धर, पंजाब
पोस्टल पता : ------
          लक्की जनरल स्टोर
लाम्बड़ा, ज़िला : जालन्धर (पंजाब)

___________________________________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

MOST POPULAR POST IN MONTH