हाइकुकार
राम निवास बाँयला
हाइकु
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सिक्कों के साथ
जेब का ये सुराख
ले गया रिश्ते ।
निशा सुंदरी
ओढ़ी तारा चुनरी
जागे जुगनू ।
खोली ना आँखें
जलाये लाखों दीप
रहा अँधेरा ।
कर्ज की घुट्टी
अर्थी तक छलकी
किसान कथा ।
उत्सर्ग दम्भ
बनाता बर्बरीक
सायना छल ।
पूर्वज ही क्यों
मन मदारी संग
हम भी कपि ।
तर्क का श्राद्ध
कुभाष पकवान
करो दावत ।
श्री संग आएँ
वामा, पद्मा, गांगेय
दीप जलाओ ।
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□ राम निवास बाँयला
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