हाइकुकार
रामेश्वर बंग
हाइकु
1.
कर्म के पथ
मन रख संयम
मिलेगा लक्ष्य ।
2.
हरे अँधेरा
जीवन में अपना
गीता का सार ।
3.
पथ के दीप
श्रम-कर्म से तप
होगे रोशन ।
4.
मन को जगा
सूरज बनकर
फैला प्रकाश ।
5.
नव प्रभात
मन भर उजास
मिले सुपथ ।
6.
गुलाब जैसा
निखर के बिखर
महके गंध ।
7.
हार न मान
कर्म करते चल
विजय रथ ।
8.
हर्षित मन
पथ रोशन कर
फैले प्रकाश ।
9.
काल भी हारे
कर्म के दीप जला
मन को जगा ।
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