हाइकुकार
मनीष कुमार श्रीवास्तव
हाइकु
झूले पे गोरी
अधरों पे कजरी
भूली-बिसरी ।
सावन झूले
रिमझिम फुहार
कभी न भूले ।
चौराहों पर
फेंक रहीं गुड़िया
बहन बेटी ।
होती गुड़िया
महकती गुझियां
पान का बीड़ा ।
मिट्टी के रंग
अखाड़ों की रौनक
दंगल कुश्ती ।
प्रसन्न पृथ्वी
मघा का आगमन
अमृत जल ।
हवा के झोंकें
घने काले बादल
डरते लोग ।
अँधेरी रात
कड़कती बिजली
सहमे लोग ।
तेज बारिश
बादलों की साजिश
जल प्रलय ।
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□ मनीष कुमार श्रीवास्तव
रायबरेली (उत्तरप्रदेश)
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