हाइकुकार
काशिनाथ भारंबे "निर्मोही"
हाइकु
कड़ी धूप में
खड़ा अमलतास
देता उल्लास ।
हरसिंगार
भोर सुबह करें
गंध फुवार ।
बूँदें बरसीं
मिट्टी से सौंधी गंध
महक उठी ।
तेज धूप में
टेसू खिल रहे हैं
किस खुशी में ?
तुफानी हवा
डगमगाती नाव
दूर है तट ।
पंख पसारे
मोर नाचता, देख
मोरनी मुग्ध ।
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