डॉ. इन्दिरा अग्रवाल
हाइकु
ईमानदारी
आटे में नमक सी
गुंथी बेचारी ।
उलझे नैन
अंकुरित प्रेम से
दिल बेचैन ।
यही है प्रीति
विरह औ मिलन
अनोखी रीति ।
कागज सेज
काल्पनिक दुल्हन
पूर्ण मिलन ।
जिन्दगी वास्ता
सामाजिक मान्यता
टूटती आस्था ।
देती संकेत
चंचल चितवन
मिले एकांत ।
राजनीति में
हर शाख पे उल्लू
जनतंत्र में ।
सामान्य जन
राजनीति पंकिल
धँसा जीवन ।
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