नवोदित हाइकुकार
भूषण मालाकार
हाइकु
पावन वर्ष
ले आए जीवन में
अपार हर्ष ।
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क्षितिज देख
मन में उमड़ते
सुंदर लेख ।
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छाया बादल
घूँघट ओढ़ बैठें
सितारे सब ।
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पूनम रात
दिवाने झूम उठे
देख आकाश ।
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नूतन नभ
स्वछन्द जा उड़तीं
पंछियाँ अब ।
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फरेबी रात
चांद की चाँदनी को
चुराया आज ।
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मन हर्षित
नव सृजन करे
पावन गीत ।
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