हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 11 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री स्वाति गुप्ता "नीरव" जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

स्वाति गुप्ता "नीरव"


हाइकु 


देख जलद
मेंढक हैं टर्राये
बरखा आये ।
•••

बरसे पानी
सूखी धरा महकी
सौंधी खुशबू ।
•••

बारिश आए
पैजन सम बाजे 
झिंगुर बोले ।
•••

खेत की डोली
कतार में बालाएँ
रोपा लगाएँ ।
•••

स्वाति नक्षत्र
बूंद की वह प्यासी
चातक पंछी ।
•••

जल शैलाब
बेबस बहे  प्राणी
प्रकृति कोप ।
•••

पानी बरसा
पौधों में आई जान 
मुस्काई धरा ।
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□  स्वाति गुप्ता "नीरव"

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