हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 4 अगस्त 2019

हाइकुकार राकेश गुप्ता जी के हिन्दी हाइकु

हाइकुकार

राकेश गुप्ता 

हाइकु

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तुम्हारा स्पर्श

तनहा एक झील 

चाँद का अक्स ।


जादू की झप्पी 

दे जाती बरबस

दर्द को चुप्पी ।


ध्यान से छूना

किरचें हैं दिल की

देखो चुभे ना ।


तू ने  जो छुआ 

युगों से था अधूरा 

यूँ पूरा हुआ ।


अब छू मत 

जिन्दा एक जख्म मैं

तू है नमक ।


बिटिया विदा

आहत है कमरा

गन्ध बिखरा ।


कंघे में फँसे

कुछ बालों के गुच्छे

सुगन्ध सच्चे ।


छोटा सा श्वान

चूमे दीदी के निशाँ

स्नेह का घ्राण ।


पुराना स्कार्फ

कैसे कर दूँ साफ़

यहाँ  सुवास ।

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□ राकेश गुप्ता

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