हाइकु कवयित्री
चंचला इंचुलकर सोनी
हाइकु
01.
जल प्रवाही
सहज बह चली
निर्झर रूप ।
02.
तपती धरा
रखा नीर सकोरा
पंछी मित्रता ।
03.
नीर लहर
प्रभात आलिंगन
हँसा मिहिर ।
04.
कुम्भ सुतपा
शीतल नीर सुधा
माटी संकल्पा ।
05.
श्रावण पाती
बदरा हरकारा
नीर भू थाती ।
06.
तपे प्रमान
भू जल रसातल
मेघ जमान ।
07.
सार्थक पूजा
भू जल वायु पेड़
अमोल धन ।
08.
भू जल गोल
शून्य भीतर शून्य
रीता खगोल ।
09.
नीर हिंडोला
झूले सूर्य रश्मियाँ
इंद्रधनुष ।
10.
तपती मही
सलिल लब्ध नारी
कुटुंब मोही ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें