हाइकु कवयित्री
अंशु विनोद गुप्ता
हाइकु
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01.
विहँसे पद्म
निज पंकिलता में
ताल तलैया ।
02.
ताल न नीर
पावस में अधीर
दादुर पीर ।
03.
कुआँ मुंडेर
बातें न पनघट
बदला गाँव ।
04.
ताल तलैय्या
दरख़्त नहीँ छाँव
बदला गाँव ।
05.
जल अभाव
ताल सरिता टूटा
प्रणय भाव ।
06.
बदरी सूखी
मर गया सबकी
आँख का पानी ।
07.
पोखर पानी
बोल मेरी मछली
गाती न रानी ।
08.
प्लास्टिक कूड़ा
जलाशयों से पाते
भूख मिटाते ।
09.
कुआँ बीहड़
दादुर चुप सुनता
प्रतिध्वनियाँ ।
10.
मेघ न रोता
धरती पर सूखा
जीवन प्यासा ।
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