हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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बुधवार, 28 अगस्त 2019

~हाइकु कवयित्री ज्योतिर्मयी पंत जी के हाइकु~

हाइकु कवयित्री 

ज्योतिर्मयी पंत

हाइकु


1.
मन कंगूरे
बैठे यादों के पाखी
फड़फड़ाते ।

2.
मन की खूँटी
टँगी रही स्मृतियाँ
खट्टी व मीठी ।

3.
चित्र मंजूषा
देख उमड़ती यादें
नई पुरानी ।

4.
मन सागर
छुपे रत्न यादों के
तट पे आएँ ।

5.
यादें अनूठी
भूले न बचपन
सदा जागृत ।

6.
देती हैं ऊर्जा
मायके की ही यादें
विदाई बाद ।

7.
रखें जो याद 
बड़ों की सब सीख
हो कामयाब ।

8.
स्मृति  के पल
हँसाते रुलाते भी
वक्त बिताते ।

9.
देती संबल
यादें  माता पिता की
दूर या पास ।

10.
पुरानी यादें
बुजुर्गों का सहारा
एकाकीपन ।
~ • ~

□  ज्योतिर्मयी पंत

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