हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 31 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री कंचन अपराजिता जी के हाइकु


हाइकु कवयित्री 

कंचन अपराजिता 

हाइकु 

1.
मेघ चंचल
लहराये गोरी के
खुले कुंतल ।

2.
बैठा बुज़ुर्ग
पोटली दवा संग
सूना मकान ।

3.
ताल तल पे
बूँद करती नर्तन
प्रीत अर्पण ।

4.
कस्तूरी मृग
भौतिकता के पीछे
जन के पग ।

5.
संध्या आरती
सरहद पर गूँजे
जय भारती ।

6.
बढ़ते जन 
उँचे होते सदन
घटते वन ।

7.
कागजी फूल
ढ़ूंढ़ रही तितली
पुष्प पराग ।

8.
तपती रेत
मजदूर स्त्री देखे 
पैर के छाले  ।

9.
ओंठों पे हँसी
ढँक रहे तन के
नीले निशान ।

10.
आर्थिक व्यथा
वेतन चंद्र कथा
घटता चाँद ।
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  कंचन अपराजिता

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