हाइकु कवयित्री
डॉ. सुरंगमा यादव
हाइकु
1.
डूबती कश्ती
नाविक मगरूर
किनारा दूर ।
2.
पेट की ज्वाला
जल से न बुझती
माँगे निवाला ।
3.
जीवन नभ
कभी फैला प्रकाश
कभी है तम ।
4.
वड़वानल
जलता अंतस्थल
मानस सिन्धु ।
5.
कितने भ्रम
बिजूका बन खड़े
डरते हम ।
6.
ढूँढते पता
अपना कौन यहाँ
जीवन बीता ।
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