मंजू सरावगी "मंजरी"
हाइकु
1.
ओस की बूंद
लजरते सुमन
सर्द हवायें ।
2.
शबनम सी
अधरों पर छाई
अतृप्त प्यास ।
3.
शरद ऋतु
प्रकृति उपहार
हीरों का हार ।
4.
निहारे नभ
धरा की सुंदरता
बिखेरे मोती ।
5.
स्वर्णिम आभा
भोर की रश्मि में
ओस की बूंदें ।
6.
समेट रहे
ये शबनमी मोती
सूर्य किरण ।
7.
धरा निहाल
मोतियों का श्रृंगार
खिलते फूल ।
8.
ओस की बूंदें
जलता तन मन
आवारा दिल ।
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