हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

~ हाइकु कवयित्री मंजू सरावगी जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री 

मंजू सरावगी "मंजरी"


हाइकु

1.
ओस की बूंद
लजरते सुमन
सर्द हवायें ।

2.
शबनम सी
अधरों पर छाई
अतृप्त प्यास ।

3.
शरद ऋतु
प्रकृति उपहार
हीरों का हार ।

4.
निहारे नभ
धरा की सुंदरता
बिखेरे मोती ।

5.
स्वर्णिम आभा
भोर की रश्मि में
ओस की बूंदें ।

6.
समेट रहे
ये शबनमी मोती
सूर्य किरण ।

7.
धरा निहाल
मोतियों का श्रृंगार
खिलते फूल ।

8.
ओस की बूंदें
जलता तन मन
आवारा दिल ।
~ • ~

□  मंजू सरावगी "मंजरी"

रायपुर (छतीसगढ़)

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