हाइकुकार
डाॅ. विष्णु शास्त्री "सरल"
हाइकु
1.
वन प्रदेश
वृक्ष गुल्म लताएँ
शांति विशेष ।
2.
हरी चादर
बिछी है हर ओर
धरती पर ।
3.
मधुर स्वर
विभिन्न पक्षियों का
अति सुंदर ।
4.
निकट आते
स्वतः ही वनमृग
स्नेह दर्शाते ।
5.
मेल-मिलाप
है आत्मानुशासन
सब निष्पाप ।
6.
बेरोकटोक
सदा आवागमन
अमरलोक ।
7.
जंगली फल
रंग-बिरंगे फूल
विमल जल ।
8.
भीनी सुगंध
तरोताजा करती
दुख हरती ।
9.
प्रकृति परी
नाचती हर पल
सदा निश्छल ।
10.
प्रभु की सत्ता
सर्वत्र विद्यमान
नहीं इयत्ता ।
~ • ~
□ डाॅ. विष्णु शास्त्री "सरल"
सिद्धायन, भैरवाँ, चम्पावत - 262523
(उत्तराखण्ड)
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