हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 15 सितंबर 2019

~ हाइकु कवयित्री नीलम भारद्वाज जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री 

नीलम भारद्वाज 


हाइकु 

01.
रवि ने खोला 
भोर का दरवाजा 
भागा अंधेरा ।

02.
क्यों निराश हो 
हर साल के बाद 
होता सवेरा ।

03.
है जिंदगानी
चार दिन का मेला 
हँसो-हँसाओ ।

04.
उम्मीद की लौ 
जला कर मन में 
बढ़ते चलो ।

05.
कूकी कोयल 
विरह की तपिश 
प्रेमी मन में ।

06.
माप सके जो 
मन की गहराई 
ढूँढो मापक ।

07.
अकेला आता 
इंसान दुनिया में 
जाता अकेला ।

08.
छँट जाते हैं 
दुख के बादल भी 
मीठे बोलों से ।
~ • ~

□  नीलम भारद्वाज
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

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