हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 2 सितंबर 2019

~ हाइकुकार डॉ. राजेन्द्र वर्मा जी के हाइकु ~


हाइकुकार 

डाॅ. राजेन्द्र वर्मा 

हाइकु 


धुनी कपास
लिहाफ़ पे सुस्ताते 
मेघ के छौने ।

सावन लगा
वसुन्धरा को मिली
हरी चादर ।

बादल घिरे 
खोल रहा मयूर
अपने पंख ।

अंकुर फूटा
धूप लायी कलेवा
दुलारे हवा । 

गेहूँ के बीच
मटर की छीमियाँ 
झूलतीं झूला ।

शीत की भोर
चीड़ पहने खड़ा 
बर्फ़ का कोट ।

डूबता सूर्य
अलसाया  बालक
माँ की गोद में ।

सीप निराश
बूँद चल पड़ी है 
मरु की ओर ।

चन्द्रमा टेढ़ा
नज़र नहीं आती 
तारों की टोली !

पौ फट रही
सुर पाखी ने छेड़ी
राग भैरवी ।
~ • ~

□  डॉ. राजेन्द्र वर्मा

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