हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 9 सितंबर 2019

हाइकुकार गंगा प्रसाद पांडेय भावुक जी के हाइकु

हाइकुकार

गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"


हाइकु 


ये अति वृष्टि
प्रकृति प्रकोपित
ढहते घर ।

उफनी नदी
दिखे न दोनों पाट
गांव ही साफ़ ।

ये रिम झिम
बूंदें कब टूटेंगी
व्याकुल पक्षी ।

दाना न मिले
बरसे सिर्फ पानी
गाय रंभाये ।

कच्चा मकान
गिर गया दालान
मरी बकरी ।

माँ की ही कृपा
सबको मिली धरा
फिर भी मारा ।

बुजुर्ग माई
खत्म हुयी दवाई
सूखी खटाई ।

माँ की इज्जत
बहू करे न बेटा
चाहें कीमत ।

माँ जैसे मरी
सब ढूढें गहना
साझे की अर्थी ।

माता की सेवा
विरले ही करते
ढूंढे न मिलें ।
~ • ~

□  गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

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