हाइकुकार
जवाहर इन्दु
हाइकु
दुर्गन्ध आई
पवन ने बताया
शहर आया ।
ओर न छोर
देश की हालातों से
भीगी है कोर ।
आम टिकोरी
बालकों को सिखाती
करना चोरी ।
क्षितिज तक
सरसों पियराई
तुम ही तुम ।
पक्के घरों में
कहाँ बनाती घर
नन्हीं गौरैया ।
पहुँची गांव
जबसे राजधानी
सहमी छाँव ।
नहीं आईना
किसी के पास अब
खुद को देखें ।
उलझा देश
जातियों में फिर से
नोंचो न केश ।
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