हाइकुकार
शेख़ शहज़ाद उस्मानी
हाइकु
1.
जड़ें ज़मीं में
शेष वृक्ष स्वतंत्र
पाते बसंत ।
2.
संस्कृति-वृक्ष
जड़ें ज़मीं में जमीं
कटें ! न मिटें !
3.
जड़ों की चीखें
विरासतें बचाने
कटते पेड़ ।
4.
धन नर्तक
स्वतंत्रता बहकी
तन घुंघरू ।
5.
पता, लापता
घोटालों के रहस्य
प्रकृति-चक्र ।
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