हाइकु कवयित्री
मंजू सरावगी "मंजरी"
हाइकु
अंधेरी रात
जुगनू चमकते
दिखे डगर ।
-0-
सूर्य किरण
खेले जल थल में
स्वर्णिम भोर ।
-0-
ठड़ी हवायें
शबनम से मोती
बिखरे धरा ।
-0-
चांदनी रात
ओसकण से धरा
श्रृंगारित हो ।
-0-
अधर प्यास
शबनमी बूंदों से
तृप्त यौवन ।
-0-
खिले कमल
लजरते सुमन
ओसकण में ।
--0--
□ मंजू सरावगी "मंजरी"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें