हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 3 नवंबर 2019

~ हाइकु कवयित्री अलका पाण्डेय जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

अलका पाण्डेय 


हाइकु 

मासूम कली 
हवस की सेज पे 
खोती आबरु ।
•••

मयंक तुम
चाँदनी गोद धर 
मिटाते तम ।
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विधु धवल 
धरा का आंलिगन 
सुधा बरसें ।
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बीमार बुढ़ा 
पुत्र गया लंदन 
बाट जोहता ।
•••

दवा दुकान 
मेज़ पर सजाई 
बीमारी लड़ें ।
•••

यादों के क़िस्से 
ज़ख़्म बने नासूर 
सहा न जाये ।
•••

मन उदास 
दिल में बसा तम 
हो रही टीस ।
•••

नभ से ताके 
श्वेत चादर ओढ़ 
विधु धवल ।
•••

मन की आशा 
ख़्वाब  हैं बहुतेरे 
रात घनेरी  ।
•••

गाँव से भागे 
शहर ने निगला 
मशीनी पुर्ज़ा ।
•••

□ अलका पाण्डेय

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