हाइकु कवयित्री
डॉ. सुरंगमा यादव
हाइकु
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1.
पूस औ माघ
अलाव से माँगते
सभी पनाह ।
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2.
भीषण ठंड
पुआल की रजाई
लड़ती जंग ।
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3.
ठिठुरा दिन
पाला ग्रसित रात
झुलसे पात ।
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4.
हाड़ के पार
सर्द हवा की धार
ज्यों तलवार ।
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5.
धूप पाकर
बर्फीली हवाओं की
छूटी ठंडक ।
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6.
सर्द हवाएँ
पगली-सी फिरतीं
दस्तक देतीं ।
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7.
तुम्हारी यादें
गुनगुनाता रहा
सर्दी में मन ।
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8.
प्यार का साया
धूप-ताप से परे
सदा सुहाया ।
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□ डॉ. सुरंगमा यादव
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