हाइकुकार
अंकुर सहाय "अंकुर"
हाइकु
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पायल बजी
बावरा मन चला
गांव की ओर ।
शिकायत है
बात नहीं सुनता
मेरा विधाता ।
तिरते रहे
आशाओं के दीपक
नदी धार में ।
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गहन शीत
ठिठुरती रही है
तुम्हारी प्रीत ।
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प्यार के पंख
लगा कर उड़ते
स्वप्न कंवारे ।
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□ अंकुर सहाय "अंकुर"
खजुरी (अहरौला ) आजमगढ़
(उत्तर प्रदेश) पिन - 223221
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