हाइकुकार
जयराम जय
हाइकु
--0--
जलो मगर
दीपक बनकर
करो उजाला ।
०
सपने होते
सच कब अपने
धैर्य न खोना ।
०
पास हमारे
सब कुछ लेकिन
खुशी नहीं है ।
०
गीत वही है
अविरल बहता
दिल कहता ।
०
कौन बोलता
अन्तर्मन की बातें
नैन बोलते ।
०
कर्म करो तो
मिले सुखद फल
गीता कहती ।
०
मेहनतकश
थकन ओढ़कर
सुख पाता है ।
०
आँखें करतीं
संवाद आँखों-आँखों
मन की बात ।
०
क्यों चिन्तित हो
कौन यहाँ अपना
फिर आना है ।
~ ० ~
□ जयराम जय
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