हाइकुकार
अयाज़ ख़ान
हाइकु --0--
बूढ़ी चिड़िया
उड़ा ले गयी पृथ्वी
नन्हें पैरों में ।
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पूर्ण चन्द्रमा
ठूँठ पे था अटका
पतंग जैसा ।
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कुटिया पास-
नागफ़नी के फूल
थकान भूल ।
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काला बाज़ार
फागुन खेले गिद्ध
आत्मा सम्हालो ।
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यूँ न पहनो
मुखौटों पे मुखौटा
हैराँ है शीशा ।
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आखर चुन
हवा जैसी आत्माएँ
शून्य में गुम ।
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बड़ी सुहाती
डाकिये की प्रतीक्षा
देहरी तले ।
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कँटीली झाड़ी
उलझे रह गए
निश्छल नैन ।
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□ अयाज़ ख़ान
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