हाइकु कवयित्री
सुधा शर्मा
हाइकु
गाते तराना
धरा पर आते ही
नवल शिशु ।
सुनाती धरा
जीवन का संगीत
वन विटप ।
चाँद सितारे
अपने अपने ढंग
गुनगुनाते ।
सरि झरने
पर्वत छाती चीर
गाये तराना ।
वासंती गीत
छेड़ती पुरवाई
मधुर राग ।
जिंदगी वेणु
सुनाती प्रतिपल
सप्तम राग ।
सुख दुःख हैं
तराने जीवन के
धूप छँइया ।
गाते चलना
जीवन पथ पर
नव तराने ।
कौन छेड़ता
मधुरिम संगीत
फूटे तराना ।
वीणा वादिनी
कंठ कंठ विराजे
सुर प्रवाह ।
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□ सुधा शर्मा
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