हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 9 दिसंबर 2019

~ हाइकु कवयित्री नीलू मेहरा जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

नीलू मेहरा


हाइकु 
--0--

नहीं अबला
करूं अपनी रक्षा
बनूं सबला ।
--0--

कातिल हाथ
राक्षसों का है जहाँ
जाएं तो कहाँ ?
--0--

मृगी सहमी
शिकारी ने दबोचा
जी भर नोचा ।
--0--

नारी बेचारी
अस्मिता है हमारी
क्यों दुखियारी ?
--0--

शैतान पापी
दरिंदा बलात्कारी,
वो व्याभिचारी ।
--0--

लुटी प्रियंका
उसने नहीं छोड़ा
चाहे निर्भया ।
--0--

बढ़े जो हाथ
मारो,काटो या पीटो
जिंदा जलाओ ।
--00--

□  नीलू मेहरा

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