हाइकु कवयित्री
नीलू मेहरा
हाइकु
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नहीं अबला
करूं अपनी रक्षा
बनूं सबला ।
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कातिल हाथ
राक्षसों का है जहाँ
जाएं तो कहाँ ?
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मृगी सहमी
शिकारी ने दबोचा
जी भर नोचा ।
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नारी बेचारी
अस्मिता है हमारी
क्यों दुखियारी ?
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शैतान पापी
दरिंदा बलात्कारी,
वो व्याभिचारी ।
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लुटी प्रियंका
उसने नहीं छोड़ा
चाहे निर्भया ।
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बढ़े जो हाथ
मारो,काटो या पीटो
जिंदा जलाओ ।
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