हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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गुरुवार, 9 जनवरी 2020

हाइकु कवयित्री डॉ. विभा रंजन जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डाॅ. विभा रंजन "कनक"


हाइकु

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१.
सूर्य किरणें
छनकर हैं आती
बादलों बीच ।
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२.
ठंडी हवायें
तन छुकर जाये
सर्दी जगाये ।
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३.
पूरी धरती
सफेद है दिखती
बर्फ बिखरी ।
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४.
उजली धूप
सुनहरी किरणें
मन को भायें ।
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५.
ओस की बूंदें
कोमल पत्तों पर
खिलखिलायें ।
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६.
पेडों पे पंछी
उनके मीठे स्वर
मन लुभायें ।
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७.
ऊंचे पहाड़
बरफ से हैं ढके
लगे सुंंदर ।
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८.
नन्हा बादल
घुमता है आवारा
बरसूँ अब ।
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९.
ठंडी सुबह
बह रही बयार
मेघ बरसे ।
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१०
यह प्रकृति
देती है भरपूर
आदर करो !
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□ डॉ. विभा रजंन "कनक"
नई दिल्ली 

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