हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 11 जनवरी 2020

~ हाइकु कवयित्री अंजु गुप्ता जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

अंजु गुप्ता 


हाइकु 
--0--

हैरान धरा
उगाई थीं फसलें
मकान उगा !
--0--

प्रकृति सम 
आधुनिक मानव  
बदले रंग ।
--0--

लकीरें मेरी
हैं विधाता ने लिखीं
बदलूंगी मैं !
--0--

नन्ही वो कली
शायद ही मुस्काये
थी रौंदी गयी !
--0--

छायी बदरी
व्याकुल फिर मन
गीला तकिया !
--0--

जर्जर काया
इच्छाएँ खंडहर
जीने को मरे ।
--0--

मन का लावा 
ज्वालामुखी के सम 
फट ही गया !
--0--

क्रोधित घन 
बिजरी भी गरजी
प्रलय आया !
--0--

□  अंजु गुप्ता

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