हाइकुकार
मनोज कुमार "मंजू"
हाइकु
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01.
आशायें मन
चुभती खलती सी
जीवन भर ।
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02.
क्षणिक नहीं
संघर्ष उम्र भर
फलता तभी ।
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03.
मिल जाते हैं
पथ पर साथी भी
चल पड़ते ।
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04.
बुझते दिए
पसीने से जलते
झिलमिल से ।
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05.
फिर क्यों हारे
पाना जब मंजिल
चलता रह ।
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