हाइकु कवयित्री
आरती बंसल
हाइकु
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1.
चाही थी बस
अंजुरी भर धूप
नीली हरी सी ।
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2.
जाड़े की धूप
कानों को गरमाती
मखमली सी ।
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3.
टिका के पीठ
आ बैठती है धूप
छज्जे की ओट ।
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4.
सागर तट
लहरों का बिछौना
पहली धूप ।
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5.
धूप सुहानी
बादल की रूई से
बुनती तार ।
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