हाइकुकार
डॉ. विष्णु शास्त्री "सरल"
हाइकु
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नव बसंत
आया लेकर अब
सुख अनंत |
फूली सर्षप
धरा - मंडप पर
बढ़ा आतप |
मीठी बयार
दिशाएँ मदहोश
स्फूर्ति अपार |
धरा सजेगी
कर नया श्रृंगार
नई बहार |
बदला रंग
प्रकृति ललना का
नई उमंग |
शिष्ट - विशिष्ट
अवसर है आया
कटा अरिष्ट |
हर्ष ही हर्ष
सर्वत्र प्रत्येक का
होगा उत्कर्ष |
□ डाॅ. विष्णु शास्त्री "सरल"
चम्पावत (उत्तराखंड )
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