हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 22 जनवरी 2020

~ हाइकु कवयित्री पूर्णिमा साह जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

पूर्णिमा साह


हाइकु 
--0--

सोये न जागे
अलसाई पलकें
देखें सपने ।
--0--

कर्म को मान
स्व हाथ जगन्नाथ
क्यों दिवा स्वप्न ।
--0--

दिवस कर्म
मन में ले हिल्लोरें
देखें सपने ।
--0--

नैनों में छाए
सतरंगी सपने
लगे अपने ।
--0--

पाती प्रेम की
हर रोज लिखती
भेज न पाई ।
--0--

मीठी आदतें
भुलाए न भुलती
नैन भिगोती ।
--0--

दिल जमीं को
भिगोती रही अश्रु
पुरानी यादें ।
--0--

यादों के धन
खजानें अनमोल
संभाले चल ।
--0--

दिल से हारे
गर्दिश में सितारे
जग के आगे ।
---0---

□  पूर्णिमा साह
(पश्चिम बंगाल)

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