हाइकु कवयित्री
ज्योतिर्मयी पंत
बसंत
१.
आया बसंत
बीत गयी है शीत
उजास छाया ।
२.
ठूँठ जो वृक्ष
पा बसंती बयार
पल्ल्व उगे ।
३.
सोया था बीज
जगा गया बसंत
अँखुआ उठा ।
४.
धानी घाघरा
पीली चुनरी ओढ़े
हँसी सरसों ।
५.
रंग सुगंध
ऋतुराज ले आया
धरती सजी ।
६.
धुंध चादर
उठाने लगा सूरज
बसंत आया ।
७.
पुष्प वाटिका
सजी है महफ़िल
भृंग -तितली ।
८.
भौंरे गूँजते
स्वागत बसंत का
तितली नाचे ।
९.
मन उजास
दूर हुआ अवसाद
ओ मधुमास ।
१०.
फ़ाग प्रतीक्षा
करें रंग तैयारी
खिल के पुष्प ।
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