हाइकु कवयित्री
नीलम शुक्ला
वासंती हाइकु
1.
खिले धरा के
मुरझाये अधर
देख वसंत ।
2.
इठला रहा
नवयौवना बन
धरा का मन ।
3.
हरा घागरा
ओढ़ पीली चुनर
धरा दुल्हन ।
4.
पुष्प श्रृंगार
पायल की झंकार
धरा के द्वार ।
5.
लाया सम्राट
प्रेममंत्र खजाना
लुटे जमाना ।
--0--
□ नीलम शुक्ला
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