हाइकुकार
ऋतुराज दवे
हाइकु
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(1)
जाड़े में खूब
आँगन खेल रही
सुहानी धूप ।
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(2)
दवाई बड़ी
आँगन की तुलसी
ममता खड़ी ।
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(3)
गोद में लेटा
आँगन भी रो रहा
शहीद आया ।
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(4)
बड़े शहर
खो रहे हैं आँगन
सिमटे घर ।
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(5)
आशीष धूप
वसुंधरा आँगन
खिलते फूल ।
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(6)
चुनती दाना
आँगन झूमें चिड़ी
गा रही गाना ।
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