हाइकु कवयित्री
रजनी गुप्ता "पूनम"
हाइकु
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वर्षा ठहर
सर्द बड़ी सहर
ढाती कहर ।
करूँ गुजर
मुश्किल में सफर
आठों पहर ।
काँपते गात
बढ़ती बरसात
डराती रात ।
पानी बरसे
निकलती घर से
पेट तरसे ।
नन्हें बालक
मिलता ना पालक
कटे चालक ।
अबला नारी
क्षुधा सबसे भारी
बड़ी लाचारी ।
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□ रजनी गुप्ता "पूनम"
लखनऊ (उ.प्र.)
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