हाइकु कवयित्री
भुपिंदर कौर
हाइकु
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वैजंती माला
हरे मोती मंडित
मनमोहित ।
श्वेत सुमन
हरियाली लतिका
महकी फिजा ।
नीला अंबर
सुरमई बादल
बहके मन ।
काले बादल
चमकती दामिनी
डरते बाल ।
घनेरी घाम
अनवरत तलाश
पानी गायब ।
पंछी अकेला
सुनहरा पिंजरा
आसी प्रभात ।
गुम्फित पुष्प
सृजनित एकता
शुभ संदेश ।
गुलगुम्फित
चतुरंगी सैनिक
मनोहारी ।
प्रेमप्रतीक
बहुरंगी सुमन
दिली सुकून ।
नीला अंबर
टिमटिमाते तारे
हर्षित चंदा ।
तिमिर ताल
चंदा लगे सुहाना
छाई चाँदनी ।
चंदा चाँदनी
अनूठा संगसाथ
खिले मुस्कान ।
प्यासी गौरैया
जेठी दुपहरिया
सूखी बावड़ी ।
तप्त जीवन
जेठी पुरवइया
गर्म थपेड़े ।
माया जंजीर
कामनाएँ मथनी
चकरघिन्नी ।
एक मुखौटा
झुरमट गुनाह
हैरां दुनिया ।
आवारा मेघ
नकाब में चंद्रमा
डरी चाँदनी ।
सारंग आए
उमड़े व घुमड़े
बरस गये ।
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□ भुपिंदर कौर
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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