हाइकुकार
विजय कांत वर्मा
हाइकु
--0--
गौरैया आई
सपरिवार बच्चे
पंखा खामोश ।
रात अंधेरी
अकेली एक बाला
गिद्ध निगाहें ।
आमों में बौर
खुश हुआ किसान
बच्चे पढ़ेंगे ।
उड़ा जहाज़
कल रीयल होगा
आज कागज़ी ।
अपना मुल्क
सारे जहां से अच्छा
सबसे प्यारा ।
सत्य की जीत
बुराई का विनाश
दशमी पर्व ।
कन्याएं खुश
कन्या भोज पाकर
कल क्या होगा ।
थोड़ा सा प्यार
ज़िन्दगी का सहारा
सुखी जीवन ।
~ 0 ~
□ विजय कांत वर्मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें