हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 23 फ़रवरी 2020

~हाइकुकार अशोक कुमार ढोरिया जी के हाइकु~

हाइकुकार 

अशोक कुमार ढोरिया

हाइकु
--0--

अंगूठा टेक
अनपढ़ अनेक
रहे न एक ।

टलाओ युद्घ
कभी न होना क्रुद्ध
कहते बुद्ध ।

घायल पंछी
दर्द में कराहता
दवा चाहता ।

आई बसंत
मौसम की बहार
छा गई मस्ती ।

प्रवासी पक्षी
कुछ दिन का डेरा
रैन बसेरा ।

मन में खोट
भूखे बैठे माँ बाप
संस्कार कहाँ ।

देख तितली
महके उपवन
हर्षित भौंरे ।

दिल से जुड़े
ये अनजान रिश्ते
बने फ़रिश्ते ।

अच्छे लगते
ये अनजान रिश्ते
गले मिलते ।

मन्दिर पूजा
आडम्बरों की ओट
मिले न राम ।
---00---

□  अशोक कुमार ढोरिया

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