हाइकुकार
अवधेश कुमार सक्सेना
हाइकु
--0--
1.
पर्वत कभी
झुकते नहीं पर
रहते दुःखी ।
2.
उड़ने लगा
मन ये कबूतर
किसका सगा ।
3.
बिजली बनी
पानी को गिराकर
दीवाली मनी ।
4.
रहता शुद्ध
फिरता यहां-वहां
बनता बुद्ध ।
5.
कहाँ हैं वृद्ध
कहाँ गयीं गौरैयाँ
कहाँ हैं गिद्ध ।
6.
मार्ग है सीधा
टेढ़ा चलने वाला
कांटों में बींधा ।
7.
कहते सब
कंकर में शंकर
मानते कब ।
8.
रात है काली
जलें कैसे दीपक
जेब है खाली ।
9.
काम निकला
मौसम की तरह
वो भी बदला ।
10.
भौंरे तितली
खुश्बू, फूल, पराग
हैं हमजोली ।
---00---
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें