हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

हाइकुकार अवधेश कुमार सक्सेना जी के हाइकु

हाइकुकार 

अवधेश कुमार सक्सेना


हाइकु 
--0--

1.
पर्वत कभी 
झुकते नहीं पर
रहते दुःखी ।

2.
उड़ने लगा
मन ये  कबूतर
किसका सगा ।

3.
बिजली बनी
पानी को गिराकर
दीवाली मनी ।

4.
रहता शुद्ध
फिरता यहां-वहां
बनता बुद्ध ।

5.
कहाँ हैं वृद्ध
कहाँ गयीं गौरैयाँ 
कहाँ हैं गिद्ध ।

6.
मार्ग है सीधा
टेढ़ा चलने वाला
कांटों में बींधा ।

7.
कहते सब
कंकर में शंकर
मानते कब ।

8.
रात है काली
जलें कैसे दीपक
जेब है खाली ।

9.
काम निकला
मौसम की तरह
वो भी बदला ।

10.
भौंरे तितली 
खुश्बू, फूल, पराग
हैं हमजोली ।
---00---

□ अवधेश कुमार सक्सेना

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