हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

हाइकुकार डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य जी के हाइकु

हाइकुकार 

डाॅ. आनन्द प्रकाश शाक्य "आनन्द"

बसंत के हाइकु
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वाह ! वसंत
ये धरती शोभित
मन मोहित ।

ठुमका गैंदा
गुलाब है महका
वाह ! वसंत।

ये पतझर
होता नवजीवन
अश्रु न भर ।

ये मंजरियाँ
महकें महकायें
दसों दिशायें ।

मन महके
ये समीर बहके
तन चहके ।

फूली सरसों
उड़े मधुमक्खियाँ
लेती पराग ।

करो मंगल
गरीब की कुटी में
हे ! ऋतुराज ।

लो मुस्कराया
पलाश बनकर
वसंत आया ।

सजा दो माँग
विधवा महिला की 
हे ! ऋतुराज ।

गाता प्रणय
बाबरा है वसंत
बहका सन्त ।

वो मन तौलें
दम्पति हौले-हौले
करें किलोलें ।

कोकिला बोली
उपवन चहका
मधु सा घोली ।
---0---

□  डाॅ. आनन्द प्रकाश शाक्य "आनन्द"

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