हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 16 जून 2020

~ हाइकुकार ऋतुराज दवे जी के हाइकु ~

हाइकुकार
ऋतुराज दवे 

हाइकु 

(1)
मोती से भाव  
शब्दों के सागर में
तैरें विचार ।

(2)
नौकाएँ बन
आसमाँ के सागर
तैरते घन ।

(3)
भटकी राह
ईच्छाओं के सागर
मन की नाव ।

(4)
रत्नों से भरे
सागर या जीवन
दोनों गहरे ।

(5)
रवि को देख
सागर की बाहों में
फिसले मेघ ।

(6)
प्रेम  कीमती 
हृदय के सागर 
भावों के मोती ।

(7)
सागर भेजे 
बादल उपहार 
धरा के पास ।

(8)
सागर सार 
रत्नो का उपहार 
निगला खार  ।

(9)
शर्म का बोध
पश्चाताप सागर
डूबता क्रोध ।

(10)
तैरते सारे 
काले सागर में 
दीपक तारे ।
---0---

□ ऋतुराज दवे

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