हाइकुकार
आरविलि आशेन्द्र लूका
हाइकु
--0--
न बिखरना
ज़िंदगी को आज़मा
रख हौसला ।
दिल के रिश्ते
किस्मत से बनते
सम्भालें इसे ।
तकते नैन
विरह की अगन
आओ सजन ।
प्रेम गागरी
करुणा रस भरी
स्नेहिल मातृ ।
टूटे सपने
रूठे सब अपने
मनाऊं कैसे ?
प्रभु हमारा
दुःख भंजनहारा
तारणहारा ।
झांकता सूर्य
अलसाई सी धूप
मेघों के बीच ।
मां की ममता
गई है लाने दाना
चूज़ा है भूखा ।
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□ आरविलि आशेन्द्र लूका
ओम नगर, जरहाभाटा बिलासपुर
(छत्तीसगढ़)
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