हाइकु कवयित्री
आशा लता सक्सेना
हाइकु
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वह गुलाब
मैं कंटक उसका
बचे रहना ।
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प्यार दुलार
पर्यायवाची लगे
प्रेम स्नेह के ।
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नहीं भ्रमित
टूट गया बंधन
अनुराग का ।
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स्नेह माता का
अनुराग प्रिया का
जाने न देता ।
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सागर सीपी
एक स्थान पर हैं
मोती है खरा ।
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पानी मोती का
नूर चेहरे का है
सच्चा परखा ।
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□ आशा लता सक्सेना
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