हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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गुरुवार, 18 जून 2020

हाइकु कवयित्री आशा लता सक्सेना जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

आशा लता सक्सेना 

हाइकु 
--0--

वह  गुलाब 
मैं कंटक उसका 
बचे रहना ।
--0--

प्यार दुलार 
पर्यायवाची लगे 
प्रेम स्नेह के ।
--0--

नहीं भ्रमित 
टूट गया बंधन 
अनुराग का ।
--0--

स्नेह माता का 
अनुराग प्रिया का 
जाने न देता ।
--0--

सागर सीपी 
एक स्थान पर हैं  
मोती है खरा ।
--0--

पानी मोती का 
नूर चेहरे का है 
सच्चा परखा ।
--0--

□ आशा लता सक्सेना

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