हाइकुकार
अजय चरणम्
हाइकु
--0--
घाटी में घूम
निर्गुण गा रही है
बावली हवा ।
--0--
धरा तुलसी
आसमां बरगद
मैं नागफनी ।
--0--
भटक रही
मन की नदिया में
तन की नाव ।
--0--
काट गया जो
लकीर से लकीर
बना फकीर ।
--0--
आँखों के रास्ते
कोई गुजर गया
आँसू बन के ।
--0--
चूल्हे की आग
कितनी ठंडी होती
रोटी के बिना ।
--0--
दलित अब
सिर्फ दलित नहीं
साहित्य बना ।
--0--
हवा जो आई
गिर रहीं पत्तियाँ
साथ जाने को ।
--0--
आँखों के रास्ते
कोई गुजर गया
आँसू बन के ।
--0--
चूल्हे की आग
कितनी ठंडी होती
रोटी के बिना ।
--0--
दलित अब
सिर्फ दलित नहीं
साहित्य बना ।
--0--
हवा जो आई
गिर रहीं पत्तियाँ
साथ जाने को ।
---0---
□ अजय चरणम्
पूरब अजीम गंज, हवेली खङगपुर,
मुंगेर (बिहार) पिन - 811213
पूरब अजीम गंज, हवेली खङगपुर,
मुंगेर (बिहार) पिन - 811213
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें